चिड़िया और कछुई

 



एक वन था. वन में कई हरे भरे पेड़ थे. पेड़ों पर कई पक्षियों ने अपना घर बनाया हुआ था. एक पेड़ पर एक चिड़िया का घोसला था. वह जब भी घोसले में होती तब कुछ कुत्ते आ कर नीचे भौंकने लगते. चिड़िया उड़ कर छोटे छोटे कंकर पत्थर उठा लाती और जब कुत्ते भौंकते तो उन्हें भगाने के लिए उन पर फेंकती. कुत्ते भाग तो जाते मगर कुछ समय बाद फिर से आ जाते.

एक दिन वह कंकर उठा रही थी तब बातूनी कछुई वहाँ से गुज़र रही थी. उसे यह कंकर अभियान समझ न आया. सो पूछा. चिड़िया ने रोते रोते बताया "वे कुत्ते भौंकते रहते हैं, मुझे परेशान करते रहते हैं. उनको मार भगाने को पत्थर जुट रही. पता नहीं क्यों मुझे ही सताते रहते हैं. ओर भी तो चिड़िया व पक्षी हैं."

कछुई मुस्कुराई और बोली "हाँ यह बात सच है कि वन में अन्य पक्षी भी हैं मगर वे सब शायद तुम्हारी तरह उन पर प्रतिक्रियाएं नहीं फेंकते इसलिए कुत्ते उन्हें नहीं सताते." यह कह कर कछुई वहाँ से चल दी. उसे बहुतों से बहुत सारी बातें जो करनी थी.

शीतल सोनी

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